शुक्रवार, 18 मई 2012

यादें







मंद हवा के झौकों सी यादें 
ले आती जैसे शीतल पुरवाई 
इन पर न है बस किसी का 
ये तो होती है हरजाई ...
कभी ले आये मुस्कानों  की सौगात 
कभी कर जाए आँखों में बरसात 
कभी मीठी तो कभी कडवी बातें 
मन में सदा बसती  है ये यादें 
कभी मिल कर ये मन को घेरे 
कभी छेड़े राग अधूरे 
कभी पहुचाए मधुर बचपन में  
बसे जीवन की हर एक धड़कन में 
कभी चहकती मन के वन में 
कभी सूनी सूनी सी डोले घर आँगन में 
कभी बांधे जिन्दगी की ये डोर 
कभी थामे वक्त का कोई छोर ....