बुधवार, 26 नवंबर 2008

ज़माना बदल रहा है ....


२९ नवम्बर को मेरी ममेरी बहन की शादी तय की गई थी , मुझे सबसे सुकून वाली बात लग रही थी की शादी के लिए हमें शहर से कही बाहर जाने की जरूरत नही थी और शादी छुट्टी के दिन रखी गई थी . लड़का हमारे ही शहर का है और मेरे मामा-मामी इसी शहर में आ कर शादी करवा रहे थे । शादी का बहुत ही उत्साह दोनों पक्षों में था और मेरी मामी ने बड़े ही उत्साह से सारीतैयारिया की थी , और क्यो न करे उनके यहाँ पहली ही शादी थी और लड़के वालो के यहाँ पहली अरेंज मेरिज होने जा रही थी ( उनके ३ बेटो में से २ ने माता पिता की मर्जी के बिना शादी की थी ) तो उनका उत्साह तो चरम सीमा पर था । कार्ड बटचुके थे , सारी तैयारिया पूरी हो चुकी थी की अचानक .....
२२ तारीख को सुबह सुबह फ़ोन की घंटी बजी तो मन में अचानक शंका के बादल घिर आए ... ख़बर मिली की दुल्हे के पापा की डेथ हो गई है दुःख और शोक के साथ साथ इस बात की चिंता भी हो गई की अब शादी तो किसी हाल में नही हो सकती । खैर लड़के वालो के यहाँ मातमपुर्सी के लिए पहुचे , जाने से पहले लोगो ने हमें सलाह दी की शादी कैसे होगी इस बारे में पूछ लेना , लेकिन ऐसे वक्त और माहोल में कुछ पूछना उचित नही था , लेकिन वहा जाने पर लड़के वालो ने हमें ख़बर दी की जो होना था वो तो हो चुका आप लोग चिंता न करे ,शादी उसी तारीख में होगी । वाकई जमाना बदल रहा है नही तो आम तोर पर ऐसे समय में लड़की पर दोष भी दिया जाता है और शादी आगे बढ़ने की बात भी हो सकती थी । (आगे दोनों की शादी का सवा साल तक कोई मुहूर्त भी नही था .) फिलहाल चौथे दिन ही उनके यहाँ तेरावी की रस्म करी गई और अब सादे तरीके से २९ को ही शादी होने जा रही है । मैं सोच रही थी की ऐसे नाजुक वक्त दोनों पक्षों ने अत्यन्त समझदारी से काम लेकर स्थिथि संभाल ली और लड़की को बेकार के दोषारोपण से बचा लिया । काश सभी ऐसे समझदार हो जाए ...